मेरा अध्यात्मिक यात्रा में अनेक लोग देस और बिदेश से काइ प्रस्न पूछे जो
में इस्वर के प्रेरणा से दे पाया .यह अद्भुत सत्या आज लगातार पूछे जा रहे
है.जैस की क्या दुनिया का अंत होगा ? क्या हमारा प्रकृति सुरक्षित रह
पायेगा ? क्या हमारा देस से गरीबी हट पायेगी ? क्या इस्वर का दर्शन संभब है
? क्या सीधी प्राप्त होती है ? क्या मन मुताबिक जीवन साथी एबों अन्य काम
संभब है ? क्या मृत्यु के बाद जीवन संभव है ? क्या रोग,कस्ट,चिंता एबों
गरीबी से मुक्ति मिलति है ? इन सब सबाल का उत्तर इस्वर है ,इन गेहरी गूढ़
बात का उत्तर इस्वर देता है बसर्ते आप आपका कान खुला रखे !
प्रस्न----क्या दुनिया का अंत होगा ?उतर----बड़े बड़े बैज्ञानिक लोग एबों भबिसीयदबकता आये और चले गये ,आज भी हम अंत के बारे में सुनते है लेकिन ना कभी सम्पूर्ण प्रलय हुआ था ना कभी होगा .अगर प्रलय हुआ था तो हम काहाँ से आये ? बिज्ञान तो हर कुछ काहेता जिसका कोई सर पेर नहीं ,मानाब का स्रस्टि उदविकसबाद से हुआ .बंदर से इंसान हुआ ,फिर आज भी भिन्न प्रजाती का बदर पाये जाते है तो वोह क्यूं इंसान बन नहीं सके ?हम सब भगवान का अंस है ,हम जानवर नहीं है इसलिये हम पर कोई भी सवारी नहीं करता .बिज्ञान हमेसा संभबाना ब्योक्त करता किन्तु प्रत्य्ख प्रमाण नहीं दे सकता,उनका ज्ञान अधूरा है,सभी बैज्ञानिक अलग अलग बिचार से उलझे हुए है . हम भगवान के अंस होनेके नाते,हम जानते है इस्वर कभी भी अपने आप को नास कर ही नहीं सकता .हम आत्मा है इस्वर परमात्मा है .अगर इस्वर को अंत करना ही था तो इंसान क्यूं बनाया ..भक्त नहीं रहेंगे तो इस्वर अकेला पड जायेगा ,इस्वर का सबदकोष में अंत का सब्द है ही नहीं . वोह पालन ,पोषन,प्रेम,दया ,ख्यमा कर सकता है लेकिन क्रूर नहीं. इसलिये जो कोई अंत के बारे में सोचते है वो इस्वर को जनता ही नहीं .
सबाल---क्या हमारा प्रकृति सुराक्षिट रेह पायेगी ? जबाब------प्रकृति इस्वर का स्वरूप है जो हमे जीवन प्रदान करती है .भगवत गीता में कृष्ण ने कहा में पीपल बृक्ष हूँ ,इसका मतलब है की हम हर बस्तु में इस्वर की अस्तित्व को मेहेसूस कर सकते है .इसलिये लेखक लोग इस पर अनेक रचना कर चुके है और एह उनका एक मात्र प्रेरणा का स्रोत है. हमारा जीवन चक्र को आगे बढाने कम सिर्फ प्रकृति ही करती है .आज इसका सबसे बड़ा दुसमन है बिज्ञान एबोम हमारे पढ़े लिखे बैज्ञानिक लोग,भूमाफिया लोग .हम सब इतना स्वार्थी हो चुके है जो कभी भी प्रकृति के उपर मनन नहीं करते है .हमारे सरकार के पास बहुत सारे मंत्रालय है,बिभाग है जैसे बन , खनिज ,सिंचाई ,पर्यावरण ,और भी अनेक किन्तु सभी का सभी बिभाग सरकारी नौकर लोग के लिये कमाई का साधन है .आगर बन बिभाग वाले जंगल कटेंगे तो हम किसको दोषी मानेगें ?ऐसे अनेक बात है जो हमारे आंखो के सामने हो रहा है लेकिन हम तो महत्मा गाँधी के तीन बंदर के जैसा कान,आंख एबों मूँ बंद करके रहेंगे .आज हम पेज 3 पढ़ना पसंद करते है लेकिन जो बातें हुमारा जिबन से जुड़ा है उस समाचर को कभी पढ़ते ही नहीं .बिधर्व में किसान आत्महत्या क्यूं कर रहा है ? ग्लोबल वॉरमिंग क्यूं हो रहा है ?क्यूं हम प्रदूषण के कारण दिन प्रतिदिन जहर खा रहें है ? आप लोग मीडिया का ग़ुलाम हो चुके है ,आप लोग निर्भया काण्ड को ले कर एक जन आन्दोलन खड़ा कर दिये थे जब की हम हर दिन हर गांव में ऐसा घटना सुनते है फिर भी हम प्रकृति के बिरोध होने बलि अत्याचार को जन आन्दोलन का रूप नहीं दे पाते. जब की आप सब जानते है यह आप के अस्तित्व से जुड़ा सब से महत्पूर्णा समस्या है .इसको ले कर एस.एम.एस के द्वारा आन्दोलन सुरु कर देना चाहिये ,आज हर घर में पीने का पानी का समस्या है, पानी के करण किसान आत्महत्या कर रहा है, लेकिन सरकार के पास कोई भी रण नीति नहीं,आगर होता तो आब तक समस्या क्यूं दिन प्रतिदिन बढ़ता .मेरे पास प्रकृति का रक्ष्या का सरल उपाय है ,जिसके द्वारा पीने का पानी ,किसान का समस्या ,उर्जा का समस्या दूर होने के साथ साथ सरकारी ख़ज़ाना को मजबूत कर सकते है .इसके लिये सरकारी नुमाइंदे एबों मीडिया के प्रमुख आगे आना पड़ेगा क्यूं की सरकार कम करेगा एबों मीडिया निगरानी करेगा .में इस बात को चर्चा सिर्फ मीडिया एबों मंत्रालय से सीधा बात करना चाहता हूँ .
सबाल -------क्या नारी अत्याचार से मुक्त हो सकता ? जवाब-------इस पुरुस प्रधान समाज में नारी को सची सम्मान तभी मिल सकता जब नारी सीखित होगा झाँसी की रानी की कहानी सुनने से नारी ससक्त नहीं हो सकता,नारी को झाँसी की रानी .जैसा बीर रणनीति मे पारंगता होना पड़ेगा,आत्मरख्या का कला पहेली क्लास से सीखना होगा, मार्षल आर्ट हर स्कूल में अनिबार्य करना होगा,अंग्रेज़ का कयेजुकेशन बंद करना होगा,कोई भी महिला स्कूल और छात्राबस में कोई भी पुरुस कर्मी को प्रवेश निसेध करना पड़ेगा ,सब महिला को मिर्ची का स्प्रे पास में रखना पड़ेगा,बस इतना नियम पालन करने से हम नारी को सुरखित रख सकते है.परंतु नारी को भी कुछ मर्यादा को पालन करना चाहिये जैसे भड़कीला पोसाक नही पेहना चाहिये जिससे अंग प्रदर्शन होता हो ,मीडिया लड़की एबों सेक्स का उपभाक्ता के रीति से पोरोसना बंद करेन.तब जाकर हम कुछ हद तक नारी सोसन बंद कर सकते .
प्रस्न----क्या बाढ रोका जा सकता है . उत्तर ----हाँ बिल्कुल रोका जा सकता अगर मेरे काहे अनुसार नीति पर अमल करने से बीस्वभर की समस्या का हल मिल सकता है .हम सब जानते है बरसात का पानी एकट्ठा हो कर नाली बंटा है,फिर वो नाली बड़ा नाली में मिल जाता है, बड़ा नाली नदी से मिल कर बाढ का स्तीति उतपन करता है और समुद्र का जल का स्तर बढ जाता है. आगर सरकार इन बड़े बड़े नालों का पानी के लिये छोटा छोटा तालाब निर्माण कर के जल को स्टोर कर दे तो पीने का पानी का ब्योबस्टा हो जायेगा ,इस तलब का पानी से सिंचाई,मछली पालन कर सरकारी खजाना को बढ़ा सकता है .इस तरह् बाढ का समस्या हल हो जायेगा,किसी को हर्जाना देना नहीं पड़ेगा ,जान माल एबों फसल बर्बाद नहीं होगा .आज तक हमने कोई प्रयास क्यूं नही किया ?
प्रस्न----क्या दुनिया का अंत होगा ?उतर----बड़े बड़े बैज्ञानिक लोग एबों भबिसीयदबकता आये और चले गये ,आज भी हम अंत के बारे में सुनते है लेकिन ना कभी सम्पूर्ण प्रलय हुआ था ना कभी होगा .अगर प्रलय हुआ था तो हम काहाँ से आये ? बिज्ञान तो हर कुछ काहेता जिसका कोई सर पेर नहीं ,मानाब का स्रस्टि उदविकसबाद से हुआ .बंदर से इंसान हुआ ,फिर आज भी भिन्न प्रजाती का बदर पाये जाते है तो वोह क्यूं इंसान बन नहीं सके ?हम सब भगवान का अंस है ,हम जानवर नहीं है इसलिये हम पर कोई भी सवारी नहीं करता .बिज्ञान हमेसा संभबाना ब्योक्त करता किन्तु प्रत्य्ख प्रमाण नहीं दे सकता,उनका ज्ञान अधूरा है,सभी बैज्ञानिक अलग अलग बिचार से उलझे हुए है . हम भगवान के अंस होनेके नाते,हम जानते है इस्वर कभी भी अपने आप को नास कर ही नहीं सकता .हम आत्मा है इस्वर परमात्मा है .अगर इस्वर को अंत करना ही था तो इंसान क्यूं बनाया ..भक्त नहीं रहेंगे तो इस्वर अकेला पड जायेगा ,इस्वर का सबदकोष में अंत का सब्द है ही नहीं . वोह पालन ,पोषन,प्रेम,दया ,ख्यमा कर सकता है लेकिन क्रूर नहीं. इसलिये जो कोई अंत के बारे में सोचते है वो इस्वर को जनता ही नहीं .
सबाल---क्या हमारा प्रकृति सुराक्षिट रेह पायेगी ? जबाब------प्रकृति इस्वर का स्वरूप है जो हमे जीवन प्रदान करती है .भगवत गीता में कृष्ण ने कहा में पीपल बृक्ष हूँ ,इसका मतलब है की हम हर बस्तु में इस्वर की अस्तित्व को मेहेसूस कर सकते है .इसलिये लेखक लोग इस पर अनेक रचना कर चुके है और एह उनका एक मात्र प्रेरणा का स्रोत है. हमारा जीवन चक्र को आगे बढाने कम सिर्फ प्रकृति ही करती है .आज इसका सबसे बड़ा दुसमन है बिज्ञान एबोम हमारे पढ़े लिखे बैज्ञानिक लोग,भूमाफिया लोग .हम सब इतना स्वार्थी हो चुके है जो कभी भी प्रकृति के उपर मनन नहीं करते है .हमारे सरकार के पास बहुत सारे मंत्रालय है,बिभाग है जैसे बन , खनिज ,सिंचाई ,पर्यावरण ,और भी अनेक किन्तु सभी का सभी बिभाग सरकारी नौकर लोग के लिये कमाई का साधन है .आगर बन बिभाग वाले जंगल कटेंगे तो हम किसको दोषी मानेगें ?ऐसे अनेक बात है जो हमारे आंखो के सामने हो रहा है लेकिन हम तो महत्मा गाँधी के तीन बंदर के जैसा कान,आंख एबों मूँ बंद करके रहेंगे .आज हम पेज 3 पढ़ना पसंद करते है लेकिन जो बातें हुमारा जिबन से जुड़ा है उस समाचर को कभी पढ़ते ही नहीं .बिधर्व में किसान आत्महत्या क्यूं कर रहा है ? ग्लोबल वॉरमिंग क्यूं हो रहा है ?क्यूं हम प्रदूषण के कारण दिन प्रतिदिन जहर खा रहें है ? आप लोग मीडिया का ग़ुलाम हो चुके है ,आप लोग निर्भया काण्ड को ले कर एक जन आन्दोलन खड़ा कर दिये थे जब की हम हर दिन हर गांव में ऐसा घटना सुनते है फिर भी हम प्रकृति के बिरोध होने बलि अत्याचार को जन आन्दोलन का रूप नहीं दे पाते. जब की आप सब जानते है यह आप के अस्तित्व से जुड़ा सब से महत्पूर्णा समस्या है .इसको ले कर एस.एम.एस के द्वारा आन्दोलन सुरु कर देना चाहिये ,आज हर घर में पीने का पानी का समस्या है, पानी के करण किसान आत्महत्या कर रहा है, लेकिन सरकार के पास कोई भी रण नीति नहीं,आगर होता तो आब तक समस्या क्यूं दिन प्रतिदिन बढ़ता .मेरे पास प्रकृति का रक्ष्या का सरल उपाय है ,जिसके द्वारा पीने का पानी ,किसान का समस्या ,उर्जा का समस्या दूर होने के साथ साथ सरकारी ख़ज़ाना को मजबूत कर सकते है .इसके लिये सरकारी नुमाइंदे एबों मीडिया के प्रमुख आगे आना पड़ेगा क्यूं की सरकार कम करेगा एबों मीडिया निगरानी करेगा .में इस बात को चर्चा सिर्फ मीडिया एबों मंत्रालय से सीधा बात करना चाहता हूँ .
सबाल -------क्या नारी अत्याचार से मुक्त हो सकता ? जवाब-------इस पुरुस प्रधान समाज में नारी को सची सम्मान तभी मिल सकता जब नारी सीखित होगा झाँसी की रानी की कहानी सुनने से नारी ससक्त नहीं हो सकता,नारी को झाँसी की रानी .जैसा बीर रणनीति मे पारंगता होना पड़ेगा,आत्मरख्या का कला पहेली क्लास से सीखना होगा, मार्षल आर्ट हर स्कूल में अनिबार्य करना होगा,अंग्रेज़ का कयेजुकेशन बंद करना होगा,कोई भी महिला स्कूल और छात्राबस में कोई भी पुरुस कर्मी को प्रवेश निसेध करना पड़ेगा ,सब महिला को मिर्ची का स्प्रे पास में रखना पड़ेगा,बस इतना नियम पालन करने से हम नारी को सुरखित रख सकते है.परंतु नारी को भी कुछ मर्यादा को पालन करना चाहिये जैसे भड़कीला पोसाक नही पेहना चाहिये जिससे अंग प्रदर्शन होता हो ,मीडिया लड़की एबों सेक्स का उपभाक्ता के रीति से पोरोसना बंद करेन.तब जाकर हम कुछ हद तक नारी सोसन बंद कर सकते .
प्रस्न----क्या बाढ रोका जा सकता है . उत्तर ----हाँ बिल्कुल रोका जा सकता अगर मेरे काहे अनुसार नीति पर अमल करने से बीस्वभर की समस्या का हल मिल सकता है .हम सब जानते है बरसात का पानी एकट्ठा हो कर नाली बंटा है,फिर वो नाली बड़ा नाली में मिल जाता है, बड़ा नाली नदी से मिल कर बाढ का स्तीति उतपन करता है और समुद्र का जल का स्तर बढ जाता है. आगर सरकार इन बड़े बड़े नालों का पानी के लिये छोटा छोटा तालाब निर्माण कर के जल को स्टोर कर दे तो पीने का पानी का ब्योबस्टा हो जायेगा ,इस तलब का पानी से सिंचाई,मछली पालन कर सरकारी खजाना को बढ़ा सकता है .इस तरह् बाढ का समस्या हल हो जायेगा,किसी को हर्जाना देना नहीं पड़ेगा ,जान माल एबों फसल बर्बाद नहीं होगा .आज तक हमने कोई प्रयास क्यूं नही किया ?